फागुनी पवन
फागुनी पवन
फागुनी पवन जोर से न बहना।
मान लेना यही मेरा कहना।
सारंग सी हुई जाती बावरी।
पड़े न मुझे कुछ और भी सहना।
सारंग ले संदेश ये जाना ।
हिय की बात पी को तुम सुनाना ।
उनके बिन हुए सारंग फीके।
भली भांति अहसास ये कराना ।
सारंग संग मैं रटती रहती।
पी कहाँ पी कहाँ जपती रहती।
फागुन में आ जाना साजन जी।
बिरह अगन में हूँ जलती रहती।
स्नेहलता पाण्डेय \\'स्नेह\\'
प्रतियोगिता के लिए
Swati chourasia
22-Nov-2021 11:53 PM
Very beautiful 👌👌
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